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उत्तराखंड आन्दोलन और उसकी सफलता राज्य के इतिहास की एक गौरवपूर्ण घटना थी! तब से अब तक हम विकास की अनेक सीडियाँ चढ़ चुके हैं! प्रदेश में सड़को का जाल बिछा है गावों-गावों में बिजली पहुँच चुकी है! स्वास्थ्य सेवाओं का विकास हुआ है!

परन्तु प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र मे बहुत कुछ और बहुत जल्दी सुधार किये जाने की आवश्यकता है !
इसी प्रकार तकनीकी शिक्षा, स्वरोजगार और उधमशीलता के क्षेत्र मे किये गए प्रयास लगभग शून्य हैं | अपनी तमाम सफलता के बावजूद सिडकुल स्थानीय लोगों को रोजगार दिलाने मे असफल रहा है |

हमारा मानना है कि स्कूली शिक्षा, को रोजगारोन्मुखी बनाने की आवश्यकता है| बच्चों और उनके माता पिता को अलग अलग प्रकार के रोजगार के बारे मे बताया जाना चाहिये!

प्राथमिक शिक्षा, स्वरोजगार और उधमशीलता के विकास के लिए वो रास्ते बनाने की आवश्यकता है जो हमारे खेतों और खलियानों तक जाते हों | तब जाकर हम अपनी उमगती हुई पीढ़ी को विकास की मुख्यधारा मे शामिल करा सकते हैं|

राज्य मे रोजगार और उधमशीलता के विकास के लिए यह आवश्यक है कि हम ऐसे ज्ञान केंद्रों की स्थापना करें, जहाँ पर हमे ब्लाक स्तर पर चलने वाली विभिन्न प्रकार की योजनाओं की जानकारी प्राप्त हो सके, इन ज्ञान केंद्रों का उपयोग शिक्षा, रोजगार और उधमशीलता से संबधित हर प्रकार की जानकारी नौजवानो तक पहुंचाने के लिये किया जा सके |


यह ज्ञान केन्द्र इस बात की जाग्रति पैदा करने की कोशिश  करेंगे, कि हम तकनीकी ज्ञान में जितना कुशल और दक्ष होंगे, हम उतने ही ताकतवर बनेंगे | 

ज्ञान केन्द्र स्थानीय नौजवानों को, उनकी योग्यता के अनुसार कम से कम लागत में, तकनीकी  शिक्षा  में कुशलता  और निपुणता हासिल करवाने का माध्यम बनेंगे | 


इतना ही नही इन ज्ञान केन्द्रों मे तकनीकी शिक्षा हासिल करने वाले युवाओ को अपना उधम लगवाने मे और उनके द्वारा उत्पादित सामान और सेवाओ की राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मार्केटिंग मे भी हम उनको पूरा सहयोग करेंगे |

हमे विश्वास है और हम आपको भी भरोसा दिलाते है कि हमारे ज्ञान केन्द्रों मे पडने वाले शिक्षित युवा रोजगार माँगने वाले नहीं रोजगार देने वाले बनेंगे और अपने साथ हमारा भी भविष्य उज्जवल बनायेंगे |

आज के उत्तराखंड मे कुछ चुनौतियां है मगर बहुत सारे अवसर भी हमारा इन्तजार कर रहे  हैं | बस जरूरत है तो रोजगार और उधमशीलता के विचार और अवधारणा को नई दृष्टि और दृष्टिकोण से देखे जाने की |

अगर हम ऐसा कर सके तो हमारा राज्य कुशल, निपुण और दक्ष युवाओं की नर्सरी बनेगा और यहाँ नवउधमियों की फसल लहराएगी तब दूँन-वैली और सिलिकॉन-वैली के फासले यकिनन सिमट जाएगे अगर आप हमारी विचारो से सहमत है और हमारी कोशिश का हिस्सा बनना चाहते है, तो हमे मेल करें uttaranchaltimes.com@gmail.com